आध्यात्मिक साधना के लिए ब्रह्म मुहूर्त तथा इष्ट देवता की आवश्यकता

आध्यात्मिक साधना के लिए ब्रह्म मुहूर्त तथा इष्ट देवता की आवश्यकता

आध्यात्मिक साधना के लिए ब्रह्म मुहूर्त की आवश्यकता:-

ब्रह्ममुहूर्त में प्रातःकाल चार बजे उठो । ब्रह्ममुहूर्त का काल आध्यात्मिक साधना के लिए और जप करने के लिए सबसे अच्छा समय है । प्रातःकाल हमारा चित्त सर्वथा ताजा, पवित्र, स्वच्छ तथा बिलकुल शांत होता है । इस समय मष्तिष्क बिलकुल कोरे कागज की भांति होता है । और दिन की अपेक्षा सांसारिक कार्यों से अधिक स्वतन्त्र होता है । इस समय हम चित्त को किसी भी कार्य में सुगमतापूर्वक लगा सकते हैं । इस विशेष समय पर वातावरण में अधिक सत्व होता है । अपने हाथ, पैर और मुंह धो डालो और जप करने बैठ जाओ । पूरी तौर से स्नान करना अनिवार्य नहीं है ।

आध्यात्मिक साधना के लिए इष्ट देवता की आवश्यकता:-

तुम शिव, कृष्ण, राम, दत्तात्रेय ,गायत्री, दुर्गा अथवा काली में से किसी एक को अपना आराध्य मान लो । यदि तुम स्वयं ऐसा न कर सको तो किसी अच्छे गुरु से इस विषय में सलाह लेकर अपने देवता को चुन लो। ज्योतषी भी तुम्हारे- ग्रहो के अनुसार इष्ट देवता का निर्वाचन कर देगा । हममें से हर एक ने पूर्व जन्म में किसी न किसी देवता की पूजा की है। हमारे चित्त में उसके संस्कार सन्हित हैं । हम में से प्रत्येक का किसी एक देवता की ओर झुकाव होता है । यदि तुमने पूर्व जन्म में श्री कृष्ण जी की पूजा की है तो तुम्हरा झुकाव श्री कृष्ण जी की ओंर अधिक होगा ।

जब तुम बहुत मुसीबत में फास गए हो तो तुम स्वाभाविक ही ईश्वर का कोई नाम कहोगे इससे ही तुम्हे इष्टदेवता के चुनाव में सुगमता होगी । ईश्वर का जो भी नाम तुम्हारे मुँह से निकलता हैं बस उसी की पूजा तुमने पूर्व जन्म में की है । अगर बिच्छू ने तुम्हें काट लिया है तो तुम हरे राम, हरे कृष्ण, है नारायण, हे शिव कोई भी एक नाम पुकारोगे । इस प्रकार जिस नाम को तुम पुकारते हो, वही तुम्हारा इष्ट देवता है । यदि तुमने पूर्व जन्म में श्री राम जो को पूजा को है, तब तुम स्वत: ही श्री राम पुकारोगे ।

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